रायपुर, दुनिया में बहुत से लोग केवल अपने लिए जीते हैं। वहीं रायपुर पुरानी बस्ती सोनकर पारा की एक महिला ने सब्जी बेच बेचकर कई लोगों के जीवन में शिक्षा और सूकून की रौशनी जलाई। जी हां हम बात कर रहे हैं श्रीमती बिन्नी बाई सोनकर की जिसे रायपुर शहर की नगर माता के रूप में भी जाना जाता है।
राजधानी रायपुर के पुराने बस्ती सोनकर पारा स्थित इस घर को यहां का बच्चा बच्चा जानता है। यह घर है बिन्नी बाई सोनकर का, बिन्नी बाई सोनकर जिसने सब्जी बेचकर वो किया जो समाज में एक मिसल बन गया। बिन्नी बाई सोनकर ने रामकुंड में स्थित अपनी बेशकीमती जमीन ना केवल बच्चों के लिए स्कूल बनाने के लिए दान की बल्कि सब्जी बेचकर जमा की गई जमापूंजी से वहाँ स्कूल भी बनया गया।
बिन्नी बाई सोनकर अक्सर लोगों से कहती थी कि अभावों के कारण वे पढ़ लिख नहीं पाए पर वो नहीं चाहती और जरूरतमंद बच्चे भी ना पढ़ पाएं यदि इस स्कूल से बच्चों के जीवन में शिक्षा का उजाला फैला तो मैं समझूंगी की मेरी शिक्षा हो गई।
बिन्नी बाई सोनकर का दिल इससे भी नहीं माना और 80 साल तक सब्जी बेचती रही और इसके बाद उन्होंने अंबेडकर अस्पताल में धर्मशाला बनाने के लिए शासन को 15 लाख रूपए दान किए। इसके लिए बिन्नी बाई ने अपनी सब्जी की बाड़ी भी बेच दी। आज राज्य भर से अंबेडकर अस्पताल में इलाज कराने के लिए आए गरीब और जरूरतमंद मरीज और उनके परिजन इस धर्मशाला में रूकते हैं। जिस दौर में बिन्नी बाई सोनकर ने 15 लाख रूपए दान किए उस समय यह राशि बहुत बड़ी थी।
बिन्नी बाई करीब 85 साल तक जीवित रही और जब तक वह ठीक रही सब्जी बेचती रही और अपनी राशि सामाजिक कार्यों के लिए दान करती रही। सबसे बड़ी बात मरते दम तक उन्होंने किसी से भी कोई मदद नहीं ली। किसी भी सरकारी सहायता से वो बचती रही। सबसे बड़ी बात की बिन्नी बाई एक झोपड़ीनुमा मकान में रही लेकिन उन्होंने अपने एक भी रूपए खुद के लिए खर्च नहीं किए। राज्य में कई प्रमाणों से सम्मानित बिन्नी बाई सोनकर राज्य में महिला सशक्तीकरण का बड़ा उदाहरण है।
अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर ...
मेरी जानकारी के अनुसार
सुनील सोनकर